Friday, January 29, 2010

ज़रा हटके है ज़माने से...

हमें पसन्द नहीं, भीड़ का हिस्सा बनना।
मिज़ाज अपना,ज़रा हटके है ज़माने से।।

आदमी चाहे तो, तन्हा ही बहुत कुछ करले।
अपनी पहचान बनाले अलग़, ज़माने से ।।

मऩ में हो हौस़ला,और खुद़ पे भरोसा हो अग़र।
रोक सकता न कोई,मन्ज़िल तक जाने से ।।

लोग़, तन्हा ही तो इतिहास रचा करते हैं।
बना करती है लीक़, उनके गुज़र जाने से।।

No comments:

Post a Comment