Friday, May 28, 2010

आएंगे दिन वो फिर से....

दिल झूठा किया करता एतबार उम्र भर।
आएंगे दिन वो फिर से एक बार उम्र भर।

इन्साँ जिसे खो देता, हमेशा के वास्ते।
उनको बुला लेता है,ख्यालों के रास्ते ।
करता है फिर उनसे ग़िले हज़ार उम्र भर।। आएंगे दिन...

मालूम तो रहता ही है,वो अब न मिलेंगे।
लगता है मग़र, फूल फिर इक़ बार खिलेंगे।
देता इसी भरम में वो ग़ुज़ार उम्र भर ।। आएंगे दिन...

ये है पता, वो अब यहाँ कहीं भी नहीं है।
लगता है पर यहीं है वो, यहीं पे कहीं है।
दिल ख़्वामोख़्वा करता है ये इक़रार उम्र भर।। आएंगे दिन...

मिल जाते हैं कुछ लोग यूँ जीवन के सफ़र में।
कुछ दूर चलके साथ, छोड़ जाते डग़र में ।
..गोपाल..किया करता इन्तज़ार उम्र भर।। आएंगे दिन...

डोर साँसों की ये ज़िन्दग़ी है....

डोर साँसों की ये ज़िन्दग़ी है, कौन जाने कि कब टूट जाए।
जाने किस मोड़ पर किसका दामन,किसके हाथों से कब छूट जाए।।

जितनी मिल जाएँ खुशियाँ मनालो,
ग़म भी आए तो हँस के उठालो।
ज़िन्दग़ी खूबसूरत बनालो, ये सफ़र बाख़ुशी बीत जाए।।

वक़्त के साथ चलते ही जाओ।
वक़्त को बेवजह ना गवाँओ ।
है ये मुमक़िन नहीं ज़िन्दग़ी में,वक़्त ग़ुज़रा हुआ लौट आए।।

चाहे जितना घना हो अन्धेरा।
रोक सकता नहीं ये सवेरा ।
तोड़कर उस अन्धेरे की सतहें,रोशनी की किरन फूट आए।।

ज़िन्दग़ी बस् उम्मीदों के बल पर।
काट लेता है इन्साँ, तरस कर ।
नाउम्मीदी का लम्हा भी..गोपाल..मौत से पहले ही मौत लाए।।

Saturday, May 22, 2010

प्रिय ! तुम्हें मेरी याद आएगी....

जब-जब दुनियाँ सितम करेगी,दिल पर चोट लगेगी।
दिल तेरा रोएगा, प्रिय! तुम्हे मेरी याद आएगी ।।

दिल में तेरे जब-जब,दर्दो-ग़म की घटा घिरेगी।
मायूसी,नाउम्मीदी की,जब-जब धुन्ध उठेगी ।
जब-जब राह तेरे जीवन की,मुश्क़िल हो जाएगी।। दिल तेरा...

वक़्त की कुछ बेदर्द ठोकरें खा के, बिख़र जाओगे।
जब ख़ुदग़र्ज़ ज़माने में, ख़ुद को तन्हा पाओगे ।
नज़र बचाके दुनियाँ तुमसे, आगे बढ़ जाएगी ।। दिल तेरा...

हालातों से लड़ते-लड़ते, जब तुम थक़ जाओगे।
मज़बूरी की धूप में जब..गोपाल..झुलस जाओगे।
कमी मेरी उस वक़्त तुम्हे,बेचैन बना जाएगी ।। दिल तेरा...

Wednesday, May 12, 2010

वक़्त का झोंका......

वक़्त का झोंका, है जो कुछ,सब उड़ा ले जाएगा।
आखिरस् इन्सान इस दुनियाँ से क्या ले जाएगा ?।

आज हम जश्ने-जवानी के नशे में चूर हैं ।
कल बढ़ापे का दखल,सारा मज़ा ले जाएगा।।

दौलतो-शोहरत् की अन्धी दौड़ में,शामिल हैं सब।
ये ज़ुनूँ अब क्या पता,किसको कहाँ ले जाएगा ।।

दिल में वो उतरा नज़र से, दिल चुराने के लिए।
दिल में जब दिल ही नहीं, तो क्या भला ले जाएगा ?।

धर्मो-ईमाँ,आबरू,किरदार, गैरतो-जज़्बात्।
बिक रहे सब,दाम वाज़िब देगा जो,ले जाएगा।।

आज का इन्साँ, बड़ा ही प्रेक्टिकल,प्रोफेशनल।
बात वो कुछ की करेगा,बहुत कुछ ले जाएगा ।।

सबको ख़ुशफहमी में रखने की, है बस् आदत् उसे।
खत् न लिक्खेगा किसी को,बस् पता ले जाएगा ।। (inspired)

क्या पड़ी..गोपाल..को,रक्खा करे सबका हिसाब।
कौन क्या दे जाएगा,और कौन क्या ले जाएगा ।।

Saturday, May 8, 2010

मर गया इन्सान....

मर गया इन्सान,ज़िन्दा रहगयीं परछाईयाँ।
झेलता कबतक अकेला,दर्दो-ग़म,रुसवाईयाँ।।

कोशिशें यूँ तो बहुत की,क़ामयाबी के लिये।
पर ज़माने ने उसे दीं,हर क़दम दुश्वारियाँ ।।

मिल सकी माफ़ी कभी ना,छोटी सी भी भूल की।
पाट ना पाया वफ़ा से,रंजिशों की खाईयाँ ।।

दौलतो-शोहरत् की,अन्धी दौड़ में,फिसलन बहुत।
रहगया वो नापता,जज़्बात् की गहराईयाँ ।।

ज़िल्लतों की मार खाकर,पहले तो ग़ैरत् मरी।
रफ्ता-रफ्ता,दम उसूलों का घुटा,ले हिचकियाँ।।

आबरू ईमान की,लुट-लुट के जब बेदम हुई।
उठ गईं फिर हसरतो-उम्मीद की भी अर्थियाँ।।

ज़िन्दग़ी की क़श्मक़श में,पिस रहा..गोपाल..था।
देगईं आराम उसको, मौत की पुरवाईयाँ ।।

Friday, May 7, 2010

इन्सान खिलौना है....

है वक़्त की जो मर्ज़ी,हर हाल में होना है।
हालात् के हाथों का, इन्सान खिलौना है।।

तू लाख बचा दामन,छीँटे तो पड़ेंगे ही।
तक़दीर की मर्ज़ी है,बेआबरू होना है ।।

तू सोचले चाहे कुछ,तू चाह ले चाहे कुछ।
ये वक़्त के ऊपर है,तेरे साथ जो होना है।।

मझधार से कैसा डर,क्या ख़ौफ़ भवँर का जब।
तूफाँ को तेरी क़िश्ती,साहिल पे डुबोना है।।

क्या फ़ागुन, क्या सावन,हर रुत् को सताना है।
फागुन को जलाना है,सावन को भिगोना है ।।

वैसे तो फ़ितरत् ये, इन्साँ की पुरानी है ।
जितना भी मिल जाये,फिर भी उसे रोना है।।

मोहलत् तो बहुत दी थी,यूँ वक़्त ने हमको भी।
..गोपाल..की पर आदत्,पा-पा कर खोना है ।।