Saturday, January 9, 2010

तमन्ना किये हुए....

रहने लगा है , सबसे फासला किये हुए।
जबसे है दिल़ ग़मों से राबिता किये हुए।।

बेचैनी सारी खत्म हुई , बेखुदी गई।
हैं दर्द को जिस दिन से हम दवा किये हुए।।

अब तो यहाँ ना शोर,ना कोहराम़ है कोई।
जबसे गया तूफाऩ , बियाबाँ किये हुए।।

मुद्द़त् हुई,सजे यहाँ,कोई ज़श्ऩ-ए-महफिल़।
बरसों ग़ुजर गये हैं , चिरागाँ किये हुए।।

मिलने की आरज़ू में,ज़िन्दगी गुज़ार दी।
वो हैं कि ग़ुजर जाते हैं,पर्दा किये हुए।।

एक बार भी,जो मेरा कहा मान जाते वो।
..गोपाल..कबसे है,ये तमन्ना किये हुए।।

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