है कारवाँ ग़मों का,मेरी ज़िन्दग़ी के पीछे।
छुपे दर्द हैं हज़ारों,मेरी इक हँसी के पीछे।।
अश्के-लहू ढले हैं,बरसों मेरी नज़र से।
तरसा है मुद्दतों दिल,इक पल ख़ुशी के पीछे।।
हम दर्द के मारों को,तेरा प्यार ही था मरहम्।
कहीं दम् निकल न जाए,तेरी बेरुख़ी के पीछे।।
इतने बड़े जहाँ में, हम ही कमनसीब ठहरे।
हम तेरे पीछे-पीछे,तू और किसी के पीछे ।।
जो ख़ता हुई हो हमसे,मेरी जान माफ़ कर दो।
दुनियाँ भुलादी हमने, तेरी गली के पीछे ।।
तू है मरी इबादत्, तू मेरी आरज़ू है ।
लाखों सितम् सहे हैं,तेरी दोस्ती के पीछे।।
ये क्या सफ़र है? जिसकी,मन्ज़िल भी ख़ुद सफ़र है।
बनके हमसफ़र है..गोपाल..,सफ़र ज़िन्दग़ी के पीछे।।
Saturday, November 27, 2010
Friday, November 19, 2010
क्या कीजिए.....
जहाँ अपने ही इतने ख़तरनाक़ हों,वहाँ गैरों पे इल्ज़ाम क्या दीजिए।
ख़ून ही अपना जब बन गया हो ज़हर,तो दवाओं से उम्मीद क्या कीजिए।।
जब नशेमन हमारा जलाया गया,हाथ सेंका था सबने बड़े शौक़ से।
क्या बताएँ कि हम ख़ाक़ हो ना सके,बच गए ज़िन्दग़ी थी तो क्या कीजिए।।
जो विधाता की मर्ज़ी थी,बस् वो हुआ,उनकी रहमत् के आगे है..गोपाल..क्या।
हमने झेले बहुत ज़िन्दग़ी के सितम,और भी झेल लेंगे दुआ कीजिए ।।
ख़ून ही अपना जब बन गया हो ज़हर,तो दवाओं से उम्मीद क्या कीजिए।।
जब नशेमन हमारा जलाया गया,हाथ सेंका था सबने बड़े शौक़ से।
क्या बताएँ कि हम ख़ाक़ हो ना सके,बच गए ज़िन्दग़ी थी तो क्या कीजिए।।
जो विधाता की मर्ज़ी थी,बस् वो हुआ,उनकी रहमत् के आगे है..गोपाल..क्या।
हमने झेले बहुत ज़िन्दग़ी के सितम,और भी झेल लेंगे दुआ कीजिए ।।
Subscribe to:
Posts (Atom)