दर्द़ से ज़ार-ज़ार था, शायद।
वो मर गया,बीमार था,शायद।।
कौन था,क्या था,कहाँ का था वो?
दिल्लग़ी का शिकार था, शायद।।
और चढ़ता गया,ज्यों-ज्यों दवा की।
वो ईश्क़ का बुखार था, शायद ।।
आपका नाम लेके,दम छूटा।
आपसे,उसको प्यार था,शायद।।
सुना है,मर के भी,आँखें थी खुली।
आपका इन्तज़ार था,शायद।।
ख़िज़ा गवाह है,इस बात की अब।
कभी फ़सले-बहाऱ था,शायद।।
नोच ली ऩूर,वक्त ने अब तो।
..गोपाल..शानदार था,शायद।।
Sunday, January 24, 2010
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waah... lajawab...
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