मिल ज़ान,हकीक़त में या ख्वाबों में मिला कर।
ना मिल सके बेपरदा, हिज़ाबों में मिला कर।।
नज़रों के रास्ते, तुझे दिल़ में उतार लूँ।
तू बन के स़फा,हमसे क़िताबों में मिला कर।।
तू बन के खुशबू आजा,हवाओँ के संग-संग।
बन के बरस जा बूँद,घटाओँ में मिला कर।।
बन के तू मस्ती शाम़ की,सुबह की ताज़गी।
हर शाम़ में,सुबह की फिज़ाओँ में मिला कर।।
दुनियाँ के बन्दिशों की, न परवाह़ किया कर।
तू ज़िन्दगी है,रूह में ,साँसों में मिला कर।।
तेरे बग़ैर, कैसी हो तसव्वुरे-हयात़्।
जी लेंगे तुझे देख के,..गोपाल..मिला कर।।
Friday, January 8, 2010
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