हाले-दिल़ पूछे,बताया,तो बुरा मान गये।
उन्हें यकीं भी दिलाया,तो बुरा मान गये।।
पायें-नाज़ुक न सऱ-आँखों पे जो लिया हमने।
सऱ ही सज़दे में झुकाया,तो बुरा मान गये।।
ढूंढते फिरते हैं वो दाग़, सबके चेहरों पे ।
आईना उनको दिखाया,तो बुरा मान गये।।
उछलते फिरते हैं वो,बनके ज़वानी की शान।
झुर्रियाँ याद़ दिलाया, तो बुरा मान गये ।।
हर घड़ी फायदे की बात,किया करते हैं।
फर्ज़ की बात चलाया,तो बुरा मान गये।।
अज़ीब सख्श हैं..गोपाल.. कोई ठीक नहीं।
हुए किस बात पे वो खुश,कब बुरा मान गये।।
Saturday, January 2, 2010
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