Monday, February 8, 2010

ऐसी बही बयार....

अबकी बार चुनाव में,ऐसी बही बयार।
नेताओं को मिल रहे,जूतों के उपहार।।

जनता को भी क्या कहें, बूझे ना जाने।
एक चला जिस राह पर, पीछे चल निकले।
जिसे भी देखो चढ़ रहा,जूतों का ही बुख़ार।। नेताओं को मिल रहे..

नेता भी तो ढीठ हैं, हिम्मत् ना हारें।
चाहे जनता जितने जूते,गिन-गिन के मारे।
एक बार जूते सही, पाँच बरस सरकार।। नेताओं को मिल रहे..

उछले-कूदे,सींग दे,और चलावे लात।
फिर पीछे थक़-हार कर,दूध की दे सौग़ात्।
जनता दुधारू गाय है,नेता हैं होशियार।। नेताओं को मिल रहे..

नेता जूताखोर हो,जनता रहे गवाँर।
फिर तो भइया हो गया,देश का बन्टाधार।
लोकतन्त्र के नाम पर,बस् जूतम्-पैज़ार।। नेताओं को मिल रहे..

हाथ अपने जब वोट का,इतना बड़ा हथियार।
अनपढ़,लम्पट,बेईमानों को चुनते क्यों हैं यार?
अपराधी हम भी हुए,चुनी ग़लत् सरकार।। नेताओं को मिल रहे..

फ़ैशन के नाम पर....

देखी बड़ी मनमानियाँ,फ़ैशन के नाम पर।
क्या-क्या हुईं कुर्बानियाँ,फ़ैशन के नाम पर।।

पहले थी कुलवधू,वो अब दिखती नगरवधू।
कन्याएँ बनी फिरती हैं , रक़्क़ाशा हूबहू।
साक़ी बनी हैं रानियाँ,फ़ैशन के नाम पर।। क्या-क्या हुई...

अब तो पिताजी "डैड"हैं,माताजी हैं "मम्मी"।
हैं एक से लिवास में,लड़का हो या लड़की ।
सबको चढ़ा फ़िल्मानियाँ,फ़ैशन के नाम पर।। क्या-क्या हुई...

शौहर की गर्लफ्रैन्ड, तो बीवी का ब्वायफ्रैन्ड।
बच्चों की रोज धुन बदल-बदल के बजती बैन्ड।
हैं आम ये कहानियाँ,फ़ैशन के नाम पर ।। क्या-क्या हुई...

कोई है होमो सेक्सुअल, तो कोई लेस्बियन।
शादी से पहले चल रहा है,लिव-इन-रिलेशन।
ये कैसी कारस्तानियाँ, फ़ैशन के नाम पर।। क्या-क्या हुई...

जहाँ धरती से बड़ी माँ,पिता आकाश से ऊँचा।
जिसे राम,कृष्ण,बुद्ध,विवेकानन्द ने सीँचा ।
वो भारत बना बर्तानियाँ,फ़ैशन के नाम पर।। क्या-क्या हुई...

हर मोड़ पर जलती है,संस्कारों की होली।
आदर्शों,मर्यादाओं और विचारों की होली।
..गोपाल..को हैरानियाँ,फ़ैशन के नाम पर।। क्या-क्या हुई...

Sunday, February 7, 2010

हसरत् है दिखा जाऊँ....

मैं अभी क़फ़स में हूँ,मेरा ग़र्दिश में है सितारा।
कि मैं आऊँगा फलक़ पे,एक रोज फिर दुबारा।।

हालात् की हवाएँ,चाहे लाख सर पटक लें।
तूफ़ान से डर जाए,वो दिल नहीं हमारा।।

मन्ज़िल को चलपड़े हैं,मन्ज़िल पे ही रूकेंगे।
परवाह नहीं, जितना भी दूर हो किनारा।।

न सज़ा कुबूल हमको,ग़ुमनाम ज़िन्दग़ी की।
हसरत् है दिखा जाऊँ,दुनियाँ को कुछ नज़ारा।।

Thursday, February 4, 2010

उनकी आहट ज़रा हो गई....

उनकी आहट ज़रा हो गई।
कितनी रंगीँ फ़िज़ा हो गई।।

हर तरफ ख़ुशनुमा सा लगे।
जैसे रुत् फिर जवाँ हो गई।।

हर कली गुन-गुना सी उठी।
मद़माती ह़वा हो गई।।

हस़रतों ने भी ली करवटें।
हऱ तमन्ना ज़वाँ हो गई।।

धड़कनें बेतहासा हुई ।
मौज़ दिल़ की ऱवाँ हो गई।।

हम़ भी यूँ बावले से हुए।
जैसे इक़ बुत् में ज़ाँ हो गई।।

पल़ में ये आलमे-ज़िन्दग़ी।
क्या से..गोपाल..क्या हो गई।।

Wednesday, February 3, 2010

इस गणतन्त्र पर....

ऐ शहीदों,तुम्हारे लहू की कसम़,तेरी कुर्बानियों को ना भूलेंगे हम़।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।
ज़ान दी तुमने ताकि रहे ये वतऩ,ज़र्रा-ज़र्रा सलाम़त रहे ये च़मऩ।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।

नीव की ईँट बनकर तुम्ही ने,थाम्ही बुनियाद़ आज़ादी की है।
है महल़ आज़ गणतन्त्र का ये,सीना ताने खड़ा तेरे दम़ पे।
तुमने हँसते ही हँसते जो ओढ़ा कफ़न,रो पड़ी ये धरा,रो पड़ा वो गगऩ।।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।

देश के वास्ते मरने वालों,देश को नाज़ तुम पर रहेगा।
तुमने बख्शा जो हमको तिरंगा,ये तेरा कर्ज़ हम पर रहेगा।
तेरी यादों की महफ़िल सजाएंगे हम़,गीत तेरी वफ़ाओं के गाएंगे हम़।।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।

आज़ हम़ कम़ नहीं हैं किसी से,अब ज़हाँ हमको ईज़्ज़त् से देखे।
पूरे होने लगे हैं वो सपने, जो कभी तेरी आँखों ने देखे।
अब़ नहीं दूर हमसे वो ख्वाबों के दिन,पऱ है अफ़सोस होगा ये सब़ तेरे बिऩ।।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।