Sunday, July 22, 2012

कैद लगती है, सजा लगती है..............

कैद लगती है, सजा लगती है ।
जिन्दगी अब बेमजा लगती है

सुकूने-दिल कहाँ तलाश करें।
बहार भी अब खिजा लगती है।।

हर तरफ आलमे-बेसब्री है।
घुटन भरी सी फिजा लगती है।।

रिश्ते अब निभने को मोहताज लगें।
बात पहले सी, कहाँ लगती है  ।।

कौन से मोड.पर आपहुँचे हम।
अजनबी हर सै जहाँ लगती है।।

किससे पूछें अब यहाँ अपना पता।
सारी दुनियाँ गुमशुदा लगती है ।।

चलो ..गोपाल..अब उस राह चलें।
जाके हर राह  जहाँ लगती है ।।