लोग़ ऐसा नहीं कि ग़ैर इरादे न मिलें।
ये और है कि आप करके भी वाद़े,न मिलें।।
आप गुज़रा किये मेरी ग़ली से भी, यूँ तो।
हमसे मिलना न था,तो पास भी आके न मिले।।
अब इतने ग़ैर हुए हम़,कि फेर ली आँखें।
यूँ निकलते हैं बचके,हम कहीं आगे न मिलें।।
हमपे तो वैसे भी हालात़ हैं,भारी-भारी।
ऐसे में आपके भी ऩेक इराद़े न मिलें।।
यही मन्ज़ूरे-वक्त है,तो चलो यूँ ही सही।
हर किसी को यहाँ मुँह-माँगी मुरादें न मिलें।।
..गोपाल..कर लिया ये सोच के ख़ामोश़ ज़ुबाँ।
वक्त से पहले,मुक़द्दऱ से ज़ियादे, न मिले।।
Sunday, January 24, 2010
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narayan narayan
ReplyDeleteSundar rachna!
ReplyDeleteGantantr diwas kee anek shubhkamnayen!
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
ReplyDeleteइस नए ब्लॉग के साथ आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. आपसे बहुत उम्मीद रहेगी हमें .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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