ऐ शहीदों,तुम्हारे लहू की कसम़,तेरी कुर्बानियों को ना भूलेंगे हम़।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।
ज़ान दी तुमने ताकि रहे ये वतऩ,ज़र्रा-ज़र्रा सलाम़त रहे ये च़मऩ।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।
नीव की ईँट बनकर तुम्ही ने,थाम्ही बुनियाद़ आज़ादी की है।
है महल़ आज़ गणतन्त्र का ये,सीना ताने खड़ा तेरे दम़ पे।
तुमने हँसते ही हँसते जो ओढ़ा कफ़न,रो पड़ी ये धरा,रो पड़ा वो गगऩ।।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।
देश के वास्ते मरने वालों,देश को नाज़ तुम पर रहेगा।
तुमने बख्शा जो हमको तिरंगा,ये तेरा कर्ज़ हम पर रहेगा।
तेरी यादों की महफ़िल सजाएंगे हम़,गीत तेरी वफ़ाओं के गाएंगे हम़।।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।
आज़ हम़ कम़ नहीं हैं किसी से,अब ज़हाँ हमको ईज़्ज़त् से देखे।
पूरे होने लगे हैं वो सपने, जो कभी तेरी आँखों ने देखे।
अब़ नहीं दूर हमसे वो ख्वाबों के दिन,पऱ है अफ़सोस होगा ये सब़ तेरे बिऩ।।
तुमको लाखों-करोड़ों नमऩ।।0।।
Wednesday, February 3, 2010
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