Sunday, December 20, 2009

कितना अच्छा हो...

हम ना हिन्दू हों, ना मुसलमाँ हों।
कितना अच्छा हो, सिर्फ इन्साँ हों।।
हर तरफ अमन हो, कुछ ऐसा करें।
सबकी खैरियत् को हम परेशाँ हों।।
दिल में, सबके लिये, मुहब्बत् हो।
एक - एक शै पे रहम् - फरमाँ हों।।
मुल्क मज़हब से बड़ा है ..गोपाल..।
बेशक़् हम ..पंडित- पोप- मुल्ला..हों।।

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