Sunday, April 25, 2010

बड़ी हसरत् थी.....

बड़ी हसरत थी,उनसे मिलने की,मुद़्दत् से हमें।
उनके दर तक पहुँचने में मग़र, ज़माने लगे ।।

तमाम उम्र, इन्तज़ार - ओ - आरज़ू में ढली ।
रात में दिन,और दिन में तारे नज़र आने लगे।।

सुना है,अब वो बदलते हैं, रोज दोस्त नये।
पुराने दोस्तों से, आज हैं कतराने लगे ।।

अजीब वाक़या..गोपाल.. मेरे साथ हुआ।
गया मैं पास, तो वो दूर-दूर जाने लगे ।।

1 comment: