Sunday, June 27, 2010

इन्साफ़ इसका अन्धा.....

इन्साफ़ इसका अन्धा,क़ानून बेसहारा।
सारे जहाँ से अच्छा,हिन्दोस्ताँ हमारा।।

क़ानून के हैं बाजू ,ये ख़ाक़ी वर्दी वाले।
रिश्वत् बग़ैर किसकी है मज़ाल कुछ कराले।।
इन्सान क्या है,इनसे भगवान भी है हारा।। सारे जहाँ....

य़े काले कोट वाले,इन्साफ़ की हैं आँखें।
सच्चाई इनको रोती,इन्साफ़ बेच खाते।।
इनसे लहू-लुहाँ है, क़ानून की हर धारा।। सारे जहाँ....

जिनकी क़लम से छूटे,तलवार को पसीना।
हर रोज चीरते हैं, इन्साफ़ का ये सीना ।।
ये पत्रकार,फिरभी इन्साफ़ इनका नारा ।। सारे जहाँ....

हैं देश को चलाते, नेताजी खादी वाले ।
करते हैं नित् घोटाले,बोफोर्स और हवाले।।
स्कूटर पे लाते,नौ सौ करोड़ का ये चारा।। सारे जहाँ....

इतने ही नहीं, जाने हैं और कितने सारे।
हैं नोच रहे,"सोने की चिंड़िया"के पंख प्यारे।।
..गोपाल..दिलादो याद इन्हें,इतिहास तो हमारा।। सारे जहाँ....
(ये मेरा व्यक्तिगत् विचार है,इसके अपवाद् भी हैं)

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