Friday, June 4, 2010

हमें बनना है.....

हमें बनना है, बिगड़ने की बात क्यों सोचें ?
अभी सवँरना है,उजड़ने की बात क्यों सोचें ?|
आओ इस ग़ुलशन को भर दें,अमन के फूलों से।
मिल के रहना है,बिखरने की बात क्यों सोचें ?।1||

किसी भाषण की ज़रूरत् नहीं होती इनको।
कर्मयोगी के तो बस् कर्म बोला करते हैं।।
समय के सीने पर,बनकर अमिट हस्ताक्षर।
ये अपने बाद भी,दुनियाँ में रहा करते हैं ।।2।।

3 comments:

  1. मै भी इस बात से इत्तेफाक रखता हूँ कि कर्मयागी के कर्म बोला करते है............
    बहुत अच्छी लगी आपकी यह कृति......

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छी लगी

    ReplyDelete