हाक़िमों की महफ़िलों में, बेवजह का शोर है ।
कौन? उसकी सुनने वाला,जो यहाँ कमज़ोर है।।
ऱुतबे की दहलीज पर,घुटनों के बल कानून है।
जितना जो तोड़े इसे,वो उतना अफ़लातून है।।
उतना क़ामयाब है,जो जितना सीनाज़ोर है।। कौन....
बिन सबूतों के, बेचारा सच् सिसकता रह गया।
झूठ ने ओढ़ा लबादा,और ख़ुद सच् बन गया।।
अब सही और ग़लत्,इनके मायने कुछ और है।। कौन....
धोखा खाने वाले कम हैं,देने वाले हैं अधिक।
आज हर क़ीमत पे भारी,क़ामयाबी है अधिक।।
राह से मतलब किसे? ..गोपाल..अन्धी दौड़ है।। कौन....
Thursday, August 26, 2010
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बहुत बेहतरीन!
ReplyDeleteBahut Kabiletarif....
ReplyDelete@S.K.Sudhanshu