वक़्त का झोंका, है जो कुछ,सब उड़ा ले जाएगा।
आखिरस् इन्सान इस दुनियाँ से क्या ले जाएगा ?।
आज हम जश्ने-जवानी के नशे में चूर हैं ।
कल बढ़ापे का दखल,सारा मज़ा ले जाएगा।।
दौलतो-शोहरत् की अन्धी दौड़ में,शामिल हैं सब।
ये ज़ुनूँ अब क्या पता,किसको कहाँ ले जाएगा ।।
दिल में वो उतरा नज़र से, दिल चुराने के लिए।
दिल में जब दिल ही नहीं, तो क्या भला ले जाएगा ?।
धर्मो-ईमाँ,आबरू,किरदार, गैरतो-जज़्बात्।
बिक रहे सब,दाम वाज़िब देगा जो,ले जाएगा।।
आज का इन्साँ, बड़ा ही प्रेक्टिकल,प्रोफेशनल।
बात वो कुछ की करेगा,बहुत कुछ ले जाएगा ।।
सबको ख़ुशफहमी में रखने की, है बस् आदत् उसे।
खत् न लिक्खेगा किसी को,बस् पता ले जाएगा ।। (inspired)
क्या पड़ी..गोपाल..को,रक्खा करे सबका हिसाब।
कौन क्या दे जाएगा,और कौन क्या ले जाएगा ।।
Wednesday, May 12, 2010
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फिर से प्रशंसनीय रचना - बधाई
ReplyDeleteबढ़िया कहन है
ReplyDeleteदिली दाद कबूल करें
maza aa gaya...............
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