Wednesday, March 17, 2010

तो किधर जाऊंगा....

तूने दिल से जो निकाला,तो किधर जाऊंगा।
तेरा बीमार हूँ,मैं वैसे ही मर जाऊंगा ।।

फेर ली आँख,नज़र से न गिरा,मैं ख़ुद ही।
बनके आँसू,तेरी पलकों से उतर जाऊंगा ।।

मेरी बर्बादियों से,गर् तू हो सके आबाद।
बारहाँ शौक़ से,ऐ दोस्त मैं मर जाऊंगा।।

इतना टूटा हूँ, तेरे ईश्क़ में, तेरे ग़म में।
मैं अपने ख्वाबों के मानिन्द बिखर जाऊंगा।।

लाख भूलोगे मग़र,ग़ुज़रा हुआ क़ल हूँ तेरा।
याद बन-बन के,ख्यालों में उभर जाऊंगा।।

अगर मिट भी गया,तो बन के हवा का झोंका।
तेरी गली से, हरेक शाम ग़ुज़र जाऊंगा।।

चला जाऊंगा मैं इस दुनियाँ से,फिर भी..गोपाल..।
तेरी राहों में,बिछा के मैं नज़र जाऊंगा ।।

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