Monday, March 15, 2010

तो तुम याद आए....

जब भी निकला फ़लक पे चाँद,तो तुम याद आए।
सज उठी तारों की बारात्,तो तुम य़ाद आए ।।

गुनगुनाती हुई हवा,दिल को सहला सी गई।
गुदगुदाने लगे एहसास,तो तुम याद आए ।।

रात की रानी के फूलों की महक़ से आई।
तेरे दामन की महक़ याद,तो तुम याद आए।।

बौर लगने लगे, जब आम के बगीचे में।
और कोयल नें की ग़ुहार,तो तुम याद आए।।

भीगी,लहराती,खुली ज़ुल्फों में कंघी डाले।
ये दोपहर में लिकला कौन,कि तुम याद आए।।

छत् पे साया कोई, फ़िर शाम के अन्धेरे में।
करा गया तेरा ग़ुमान्,तो तुम याद आए ।।

..गोपाल..जब भी तेरी याद को छेड़ा मैनें।
चल पड़ी यादों की बारात्,यूँ तुम याद आए।।

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