Sunday, June 25, 2023

क्या कहें............

 क्या कहें, हर एक इन्साँ, रहनुमा लगता है अब।

इस जहाँ में अपना होना, बेवजह लगता है अब।।

उम्र भर हमने अदब से, अदब की तालीम ली ।

आज बेअदबी के आगे,अदना सा लगता है अब।।

आरज़ू में जिसकी , हमने दे दिये बरसों-बरस ।

उसका मिलना और न मिलना, एक सा लगता है अब।।

ज़िन्दगी का मानकर मक़सद,जो कुछ करते रहे ।

वो करना, और कुछ न करना, एक सा लगता है अब।।

उम्र भर हमको फ़िकर थी,  राह ना छूटे कभी ।

जिसको देखो,राह बिन ही,दौड़ता लगता है अब।।

हुनरमन्दों के ज़हाँ में, हम ही ठहरे बेहुनर  ।

दिल नहीं”गोपाल” अपना भी, यहाँ लगता है अब।।


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