Saturday, September 18, 2010

कितने नादाँ हो.....

कितने भोले हो,कितने नादाँ हो।
तुम नहीं जानते कि तुम क्या हो।।

तुम्हें पता नहीं ख़ुद की क़ीमत।
किसी के दिल हो,ज़िग़र हो,जाँ हो।।

क़द्र हीरे की, जौहरी जाने ।
ये ज़रूरी नहीं,सबको पता हो।।

ये ज़माना, अजीब जालिम है।
न दे, जिसकी जिसे तमन्ना हो।।

यूँ ही मिलजाए किसी को,जिसने।
भले उसकी क़दर न जाना हो ।।

बहाए कोई यूँ ही , गंगाजल ।
और कोई रूह-रूह प्यासा हो ।।

जहाँ के वास्ते, तुम "आम" होगे।
..गोपाल..के लिए,नूरे-ख़ुदा हो।।

4 comments:

  1. क़द्र हीरे की, जौहरी जाने ।
    ये ज़रूरी नहीं,सबको पता हो।।

    बहुत अच्छी पंक्तियां हैं...बधाई

    http://veenakesur.blogspot.com/

    ReplyDelete
  2. अपनी बात - बढिया तरीके से कह दी.

    ReplyDelete
  3. छोटे लफ़्ज़ों में बयाँ बड़ा 'गोपाल',
    ख्यालों की दुनिया के फन्ने खाँ हो ..

    ReplyDelete